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Wednesday 16 April 2014

ओशो....

नीले आकाश में देखना
“नीले आकाश को देखो और देखते रहो।
“और उसके संबंध में सोच-विचार मत करो। मत कहो कि यह कितना सुंदर है।मत कहो कि यह कितना मोहक है। उसके रंगों की प्रशंसा मत करो। उससे सोचना शुरू हो जाएगा। और सोचना शुरू करते ही देखना बंद हो जाता है; अब तुम्हारी आंखें अनंत आकाश में गति नहीं कर रहीं। इसलिए सिर्फ देखो। विचार मत करो; शब्द मत बनाओ। शब्द बाधा बन जाते हैं। इतना भी मत कहो कि यह नीलाकाश है। इसे शब्द ही नहीं दो …"